मेरे ब्लॉग का नाम उन्मुक्त आवाज़ क्यो ? एक जर्नलिस्ट होने के नाते मन में अनेक विचार आते है। देश -समाज का हाल देख कर बहुत कुछ कहने और लिखने का मन भी करता है। लेकिन 24 घंटे ज्ञान बघारते ख़बरिया चैनलों ने तमाम जोर-आजमाइश कर रखी है। खासकर जब से निजी ख़बरिया चैनलों की जमघट लगी..। लेकिन बदला कुछ भी नहीं। घोटाले ,बलात्कार,यौन शोषण,घूसख़ोरी,ज़ालसाज़ी,कबूतरबाज़ी, फ़र्ज़ीवाड़ा और राष्ट्रहित के बारे में हम 24 घंटे टीवी पर चिल्ला रहे है...लेकिन नतीज़ा सिफर रहा । अब जी करता है किसी से कुछ न कहो चुप रहो अपनी दाल -रोटी चलाओ.... और बेबाकी से उन्मुक्त होकर अपने विचारों को ब्लॉग के जरिए प्रेषित करो ।
3 comments:
क्या बेवाकी से आपने अपनी बात रखी है मनीष जी...आपकी इसी खासियत के तो हम क़ायल है...हमारी शुभकामनाएं हमेशा आपके साथ है....लगे रहिए
ब्लॉग की दुनिया में स्वागत है
बेखौफ अंदाज़ के लिए आपको बधाई ....
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